ये रियासत बहुत पुरानी है/
पत्थर की ठोकर इश्क़ निशानी है..
खन्जर चलते नही यहा रो जाते है
कत्ल के गुनाह मे कुछ खो जाते है..
शाम सवेरे उलझन का जाल मुहब्ब्त मे
इस गुनाह मे हर रात जुगनु फ़स जाते है..
खुदा हमको यु बरकत से ना नवाजे
इस मस्जिद के हर नमाजी हस जाते है..
चन्द खतो को हम महकशी समझने लगे
ये गुलामी का इतिहास है शब कुछ कह जाते है..
---दुर्गेश
पत्थर की ठोकर इश्क़ निशानी है..
खन्जर चलते नही यहा रो जाते है
कत्ल के गुनाह मे कुछ खो जाते है..
शाम सवेरे उलझन का जाल मुहब्ब्त मे
इस गुनाह मे हर रात जुगनु फ़स जाते है..
खुदा हमको यु बरकत से ना नवाजे
इस मस्जिद के हर नमाजी हस जाते है..
चन्द खतो को हम महकशी समझने लगे
ये गुलामी का इतिहास है शब कुछ कह जाते है..
---दुर्गेश
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