रिश्ते
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मशगुल इस जमाने मे तलफ़गार ऑसु बना देते है
इक बिना सीकी रोटी मे हजारो अहसान सुना देते है....
कि बहुत समझा है अपनो को खुशियो मे दुआ मिले
इस फ़रियाद मे वे अपनी नई चादर गिना देते है....
बमुश्किल कहा गये वो कंघन जो मॉ ने बटवारे मे दिए थे
इस गरीबी मे ये चहरे,रिश्तो की असलियत गिना देते है....
कि जिन्दगी के तल्ख कांरवा मे अब बेबस यु रहे
ये मुसाफ़िर को अकेले दिन की कमियॉ सिखा देते है....
----दुर्गेश सोनी'