मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Friday 27 May 2011

मोहताज उस जमी के हम कुछ यु हो गये
नक्शा बंद लोगो से गुनहगर हो गये
शिखर का अन्त मेरे कन्धो मै था
उस ना गवारी ने
मेरे हुनर को मोड दिया
तब से
गरीबी के उन सिक्को ने खनकना छोड दिया ।।

                              दुर्गेश'सोनी'

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