मोहताज उस जमी के हम कुछ यु हो गये
नक्शा बंद लोगो से गुनहगर हो गये
शिखर का अन्त मेरे कन्धो मै था
उस ना गवारी ने
मेरे हुनर को मोड दिया
तब से
गरीबी के उन सिक्को ने खनकना छोड दिया ।।
दुर्गेश'सोनी'
नक्शा बंद लोगो से गुनहगर हो गये
शिखर का अन्त मेरे कन्धो मै था
उस ना गवारी ने
मेरे हुनर को मोड दिया
तब से
गरीबी के उन सिक्को ने खनकना छोड दिया ।।
दुर्गेश'सोनी'
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