मै न कहता था
मेरे चमन मै वो दाग भी है
शहर-ए-बस्ती का वो ख्वाब भी है
सोचा था मैने
मेरा शहर भी शहरेपनाह होगा
आबाद, गुलिस्ता, मजहब
प्यार, सोच, नुमाइन्दगी का मेल होगा ।।
समझ के समझ को समझा
बेमेल के इस श्मशान मे
मै ना तु है, तु ना मै हु
मन बेमन है
सम असम है
आकाश का जाल है
मरुधरा का जन्जाल है...
फ़िजाओ की रंगीनीयत मै
हर तरफ़ हैवानियत का नजारा था
हर शक्स की नजरो पर
बिख्ररा वो पैसा गवारा था
एकाएक
उस विचार को दिल के दरपन मै देखा
जब मैने तन्हाइयो मै कहा था
मै अकेला हु मै अकेला था....
दुर्गेश "सोनी"
मेरे चमन मै वो दाग भी है
शहर-ए-बस्ती का वो ख्वाब भी है
सोचा था मैने
मेरा शहर भी शहरेपनाह होगा
आबाद, गुलिस्ता, मजहब
प्यार, सोच, नुमाइन्दगी का मेल होगा ।।
समझ के समझ को समझा
बेमेल के इस श्मशान मे
मै ना तु है, तु ना मै हु
मन बेमन है
सम असम है
आकाश का जाल है
मरुधरा का जन्जाल है...
फ़िजाओ की रंगीनीयत मै
हर तरफ़ हैवानियत का नजारा था
हर शक्स की नजरो पर
बिख्ररा वो पैसा गवारा था
एकाएक
उस विचार को दिल के दरपन मै देखा
जब मैने तन्हाइयो मै कहा था
मै अकेला हु मै अकेला था....
दुर्गेश "सोनी"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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