मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Saturday 18 June 2011

कागज

स्वर्णधरा पे लिपटा हुआ कागज
इक एतराज से रुठा है
पास मै नीली दवात
मौन वाचाल के भ्रम मै फ़सी है
फ़िर हिसाबी से उस रुठेपम को मनाता हु
लेकिन अक्सर मेरा वो स्वंवर याद आ जाता है
जिसमे इस कागज को हमेशा "खुदा हाफ़िज" कहा जाता है
                               दुर्गेश 'सोनी
'

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