"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..दुर्गेश 'सोनी'
Monday 20 June 2011
तरक्की को दीवाली के दीये मे जलाकर यु भुल गया हु जैसे फ़ाग के आलम मे मैने अफ़साना लिख दिया हो अब इन बन्द कमरो मे रंगीन यादो का जमाया नही है अकेलेपन मे अक्सर यही बाते मुझे रुलाया करती है..... दुर्गेश 'सोनी'
रोयें मत कोशिशें जारी रखें। एक दिन बेहतर लिख पायेंगे और खूब यश पायेंगे दुर्गेश जी।
ReplyDelete