जन्नत की नादानी पे
एक महलसार यु रो पडा
आंगन मे चौबारा था
फ़िर कब्र क्यो जाना पडा
शुचिता के इस महल मे
मैने हर कसम की फ़रयाद दी
फ़िर क्यु इन जुगनुओ को
अंधेरे मे चमकना पडा...'सोनी'
एक महलसार यु रो पडा
आंगन मे चौबारा था
फ़िर कब्र क्यो जाना पडा
शुचिता के इस महल मे
मैने हर कसम की फ़रयाद दी
फ़िर क्यु इन जुगनुओ को
अंधेरे मे चमकना पडा...'सोनी'
गजब भाई जी गजब !!
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