मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Tuesday 28 June 2011

जन्नत

जन्नत की नादानी पे
एक महलसार यु रो पडा

आंगन मे चौबारा था
फ़िर कब्र क्यो जाना पडा
शुचिता के इस महल मे
मैने हर कसम की फ़रयाद दी
फ़िर क्यु इन जुगनुओ को
अंधेरे मे चमकना पडा...
'सोनी'

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