मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Tuesday 12 July 2011

खुशी

‎"इश्क" ने वन मे
"विरह" को यु याद किया
पत्तो को ज्यु तोडकर 

कानन को "रौरव" किया
इश्क ने "उछाह" से

प्रेमवन को ज्यु याद किया
विरह जले हर सपने को बगिया से "गंधराज" किया ।।
"सोनी"

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