मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Wednesday 13 July 2011

यादें

अब कहानी मे किस्सा उन "मैले आंचलो" का ना रहा
इन भरोसो पे जो गन्दी वफ़ाओ ने अपना हक़ जमाया है
कभी कल्पना मे "मातादीन" के साथ "चांद" मेरा अपना था
अब हर कलम तुझे तेरी सौतन से कुछ नया कहलवाती है ||
"स्वर्णकार"

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