मै

"जीवन के हर विषम संघर्ष मे अगर परिणाम देखोगे तो तुम्हारा कल तुम्हारी सोच से उतना ही दुर हो जाएगा..जितना ओस की बुन्दो का ठहरावपन"..
दुर्गेश 'सोनी'

Saturday 16 July 2011

ज़िन्दगी


ज़िन्दगी
कब तक
इन फ़ुलो को
अर्थविहीन समय मे
इक पल के लिए जन्म देती रहेगी
गुस्ताकी
तेरी सांसो की हवा ने
आखिर
निश्चिन्त पल मे सुला ही दिया...
ना देखा ना सुना ना कहा
बस क्षणभ्रम को पाकर
हर स्पर्श को सहा..
गर्भ का आंचल
कुछ कांटे भी देता है
विरह का हाथ
कुछ सुकुन भी देता है....
मै अबला की
आकांक्षाओ मे हु
जो समय
कुछ खोने भी नही देता
पर आडम्बर
कुछ कहने भी नही देता..
हा
सावन ने जगाया है मुझे
मेरे अपने गोद मे है
पतझड तु वापस कब जाएगा...
माना !
आकाश तेरा है
कुछ पानी भी गिराता है
हर चुभन भी छुआता है
पर मै मौन
अधुरे स्वप्न से
सर नही उठा सकता.....
दुर्गेश 'सोनी'

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